हरित क्रांति के जनक प्रो. स्वामीनाथन का निधन || उ्नकी सिफारिशे अगर मान ली जाती तो किसान की किस्मत बदल जाती | MS Swaminathan Died
हरित क्रांति के जनक प्रो. स्वामीनाथन नहीं रहे- चौधरी नरेश टिकैत
भारतीय किसान युनियन के प्रधान नरेश टिकैत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रोफेसर स्वामीनाथन का निधन हो गया है | हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टी नही हुई है। पर अगर टिकैट साहब की माने तो उनका निधन हो गया है
आज यह खबर सुनकर बहुत दुःख हुआ है कि हरित क्रांति के जनक प्रो. स्वामीनाथन नहीं रहे। प्रो. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए जो सुझाव दिए थे, अगर वो पूरी तरह लागू हो जाएं तो किसानों की दशा बदल सकती है।
तमिलनाडु के कुम्भकोणम में 7 अगस्त 1925, जन्मे डॉ एमएस स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक थे। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे। इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था।
देश में किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने को लेकर सन 2004 में केंद्र सरकार ने डॉ एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स का गठन किया था। इस आयोग ने अपनी पांच रिपोर्टें केंद्र सरकार को दी थी और अंतिम व पांचवीं रिपोर्ट 4 अक्तूबर, 2006 में केंद्र सरकार सौंपी गयी थी,लेकिन इस रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उन्हें अभी तक भी पुरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।
भारत में हरित क्रांति को उल्लेखनीय योगदान करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन सन 1960 के दशक में कृषि क्षेत्र की काया पलट कर देने वाले वैज्ञानिक डॉ नॉर्मन बोरलॉग के योगदान को बहुत बड़ा मानते थे। डॉ नॉर्मन बोरलॉग भूख के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले महान योद्धा थे।
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के संस्थापक और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत हमेशा केंद्र सरकार से डॉ एमएस स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने की बात रखते थे। और 23 सितंबर 2018 को हरिद्वार के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत घाट से शुरू होकर दो अक्टूबर को दिल्ली पहुची किसान क्रांति यात्रा में भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत भी इनकी रिपोर्ट को पुरी तरह से लागू करने की बात केंद्र सरकार के सामने रखी थी।
क्या थी स्वामीनाथन आयोग की सिफारशें ?