पशुओं का ये घरेलु उपचार करेगें तो बचा सकते है हजारों रूपये
ऐसी हालत से बचने के लिए पशु का प्राथमिक इलाज करना चाहिए. यहां ऐसे ही कुछ घरेलू इलाजों के बारे में बताया जा रहा है, जिन में इस्तेमाल की जाने वाली हींग, अजवाइन, हलदी, सौंफ, तेल, काला नमक, सादा नमक, खाने वाला सोडा व नौसादर वगैरह चीजें आमतौर पर किसानों के घरों में आसानी से मिल जाती हैं.
अफारा (गैस बन जाना) : कई बार ज्यादा मात्रा में हरा चारा खाने से पशु का बाईं ओर का पेट फूल जाता है और पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है. इस के इलाज के लिए आधे लीटर अलसी के तेल में 30 मिलीलीटर तारपीन का तेल मिला कर पिलाएं या पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर पिलाएं. इस से पशु को काफी आराम मिलता है.
खांसी : कभीकभी पशु को ठंड के मौसम में खांसी हो जाती है. इस के इलाज के लिए कपूर की 1 टिकिया को 7 चम्मच शहद और गुड़ के साथ मिला कर दिन में 3-4 बार चटाएं, तो पशु को आराम मिलता है.
कब्ज : कई बार ज्यादा चारा या जहरीला चारा या खराब अनाज खाने से पशु को कब्ज हो जाता है. ऐसे में पशु को 100 ग्राम सादा नमक, 200 ग्राम भगसल्फ और 30 ग्राम सोंठ (या अदरक) आधे लीटर पानी में घोल कर पिलाएं.
दस्त: दस्त लगने पर पशु को पहले दिन आधा लीटर अलसी का तेल या आधा कप अरंडी का तेल पिलाएं और दूसरे दिन 8 चम्मच खडि़या पाउडर, 4 चम्मच कत्था, 2 चम्मच सोंठ व गुड़ को पानी में मिला कर पिलाएं. इस से काफी फायदा होगा.
निमोनिया : ज्यादातर यह रोग सर्दी के मौसम में होताहै. सर्दी लग जाने से पशु को बुखार हो जाता है और नाक से पानी बहता है. इस के इलाज के लिए 100 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम अजवाइन, 100 ग्राम चायपत्ती, 100 ग्राम मेथी व 500 ग्राम गुड़ को पीस कर करीब 2 लीटर पानी में घोल कर दिन में 2 बार पशु को पिलाएं.
मुंह के छाले : खुरपका व मुंहपका रोग में पशुओं के मुंह में छाले पड़ जाते हैं. ये छाले जीभ के सिवा मुंह के अंदर अन्य हिस्सों पर दिखाई देते हैं. छालों की वजह से पशु चारा खाना बंद कर देता है, नतीजतन पशु की सेहत बिगड़ जाती है और दूध का उत्पादन कम हो जाता है. इस के इलाज के लिए 125 ग्राम अमकली और 50 ग्राम पीली कटीली को 2 लीटर पानी में उबालें. जब पानी करीब 1 लीटर रह जाए, तो बीमार पशु को पिलाएं.
जूं: जूं छूने भर से एक पशु से दूसरे पशु को लग जाती?है. सर्दी में बड़े पशुओं व उन के बच्चों में जूं होने का ज्यादा खतरा होता?है. जूं से बचाव के लिए 1 भाग तंबाकू और 2 भाग नहाने का साबुन, 40 भाग पानी में डाल कर उबाल लें. ठंडा हो जाने पर इस में 1 भाग मिट्टी मिला कर इस से पशु की मालिश करें.
किलनी : आमतौर पर थनों, पूंछ, कानों और दूसरे अंगों पर किलनियां चिपट जाने से पशुओं को बेहद तकलीफ होती?है. इस से उन का दूध उत्पादन भी प्रभावित होता?है. किलनियों से बचाव के लिए 1 भाग नील व 2 भाग गंधक को 8 भाग वैसलीन या सरसों के तेल में मिला कर लगाने से किलनियां मर जाती हैं. इस के अलावा 4 भाग नमक व 1 भाग मिट्टी के तेल को 4 भाग सरसों के तेल में मिला कर लगाने से भी किलनियां मर जाती?हैं.
जख्म : सब पहले रुई या साफ कपड़े को टिंचर आयोडीन में भिगो कर जख्म की सफाई करें. इस के बाद हलदी में मक्खन या सरसों का तेल मिला कर जख्मों पर लगाएं. इस से पशु को काफी राहत मिलती है.
जहरबाद : पशुओं का पैर पटकना, कांपना, डगमगाते हुए चलना, सांस लेने में कठिनाई होना व बुखार होना वगैरह जहरबाद रोग के खास लक्षण हैं. ऐसी हालत में प्राथमिक इलाज के तौर पर पशु को इमली के पानी में नमक घोल कर पिलाएं या लकड़ी के कोयले के 200 ग्राम पाउडर को 1 लीटर पानी में घोल कर पिलाएं. इस से रोग की तेजी कम होती है.
जहर खा जाना : कभी कभी पशु चारे के साथ अनजाने में जहरीले कीड़े खा लेते?हैं या कभीकभी किसी व्यक्ति द्वारा आपसी दुश्मनी में पशु को जहर दे दिया जाता है. ऐसी हालत में पशु को डेढ़ किलोग्राम घी में 1 किलोग्राम एप्सम सावट मिला कर पिलाएं या 1 लीटर गरम दूध में 25 ग्राम तारपीन का तेल अच्छी तरह मिला कर पिलाएं और फिर 250 ग्राम केले की जड़ों के रस में 10 ग्राम कपूर मिला कर पिलाएं.
इन इलाजों द्वारा शुरुआती तौर पर पशुओं को काफी आराम मिल जाता है. इस के बाद अस्पताल ले जा कर माहिर डाक्टरों से पशु का बाकायदा इलाज कराना चाहिए ताकि उन की तकलीफ पूरी तरह ठीक हो सके.
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