barbati ki kheti बरबटी यानि लोबिया की खेती की पुरी जानकारी
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हम आज बात करेंगे ब्लैक आई पी यानी Black Eye Pee लोहिया यानि बरबटी की । जी हां वही बरबटी जिसकी सब्जी, दाल और दालमोठ भी बनाई जाती है वही दूसरी तरफ खेतों में इसकी खेती के अलावा इसे शोभा यानि खूबसूरती के लिए भी लगाया जाता है । शहरी आबादी के करीब रहने वाले किसान लोबिया की खेती से अच्छा खासा फायदा कमा सकते हैं । लोबिया एक ऐसी फसल है जिसका उपयोग सब्जी दलहन और चारे के तौर पर होता है । यही नहीं इसकी खेती से मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाती है ।

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लोबिया यानि बरबटी की खेती के लिए भूमि का चुनाव
दोमट मिट्टी लोबिया की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पानी की निकासी की बेहतर व्यवस्था हो यानी की अगर अधिक बारिश हो जाए तो पानी खेत से बाहर निकालना आसान हो ।
barbati ki kheti kaise kare – लोबिया यानि बरबटी की खेती के लिए खेत की तैयारी
खेत की तैयारी बुवाई से पहले बहुत ज्यादा मायने रखती है । मिट्टी को भुरभुरी करने के लिए जुताई ठीक से करें और इसके लिए देसी हल या हैरो का इस्तेमाल कर सकते हैं।
barbati ki kheti के लिए मिट्टी की जांच
मिट्टी की जांच बहुत ज्यादा जरूरी होती है। ठीक वैसे ही जैसे डॉक्टर अच्छे तरीके से स्वास्थ्य का चैकअप करता है और उसके बाद हमारे लिए दवाइयां लिखता है उसी तरह से आप पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं । उसके पोषक तत्वों की जानकारी लें और फिर उसी हिसाब से उर्वरकों का सही समय और सही मात्रा में प्रयोग करें । मिट्टी की जाँच के आधार पर इसमें खाद का प्रयोग करना चाहिए ।
बरबटी की खेती में खाद या उर्वरक / barbati ki kheti me khaad
अगर आप मिट्टी की जांच नहीं करवाते हैं तो लगभग 10 से 20 किलो नाइट्रोजन बुवाई के समय और 40 से 50 किलो फास्फोरस और उतना ही पोटास का प्रयोग करना है

बरबटी की खेती में सिंचाई / barbati ki kheti me irrigation
बुवाई करने के लगभग एक हफ्ते बाद इसकी सिंचाई कर सकते हैं ।लेकिन जो दाने के लिए खेती करते तो वह उन्हीं क्षेत्रों में खेती करते हैं जो आपके पानी की सुविधा कम होती है । इनके वर्षा आधारित खेती होती है तो उस केस में क्या होता जब भी पहली बारिश होती अच्छी बारिश हो जाती है उस वर्ष की बुवाई कर देते हैं और बुवाई करने के बाद बरसात के मौसम में बरसात से इसकी फसल अच्छी मिल जाती है और किसानों को काफी लाभ मिल सकता है ।
बरबटी लोबिया की किस्में
लोबिया की खेती सब्जी दलहन और चारे तीनों के लिए की जाती है और ऐसे में बुआई से पहले अपना उद्देश्य तय कर लें क्योंकि सब्जी, दलहन और चारे के लिए भी अलग अलग किस्में बाजार में मौजूद हैं । जहां तक किस्मों की बात आती तो दोनों किस्में लगाएं । जब हम सब्जी वाली बात करते हैं तो
सब्जी के लिए प्रमुख किस्में
पूसा कोमल और पूसा सुकोमल
ये दोनों किस्में ऐसी हैं जो सब्जी के लिए बड़ी अच्छी पैदावार देती हैं ।

इसी तरह से दो किस्में वाराणसी से निकली हैं उनका नाम
काशी कंचन और काशी उन्नत
ये किस्में भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं खासकर वे पूर्वी भारत वर्ष में जैसे बिहार में उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय हो रही हैं । इसी तरह से हमारे दक्षिण भारत में जो बेंगलोर से हिंदू किस्में निकली हैं उसमें एक अर्का गरिमा है । परिकर का उन्नत और समृद्धि है तो इनका भी प्रयोग कर सकते हैं ये जो किस्में काफी अच्छी पैदावार देती हैं और
जो किसान भाई चारे के लिए प्रयोग करना चाहते हैं तो पंतनगर विश्वविद्यालय ने एक अलग किस्म निकालिए इसका नाम यू पीसी 628 और ये कैसी किस्म के चारे का उत्पादन प्राप्त होता है और काफी पॉपुलर है और क्यों कि इसका उत्पादन भी जनता साथ साथ में काफी पोष्टिक चारा होता है उसका प्रयोग कर सकते हैं लेकिन जो किसान मैं दाने के लिए लोबिया खेती कर रहे हैं तो उसमें जो लाल की समय जो लाल दाने वाली के समय वो सी एनसी 100 बावन है और इसी तरह जो सफेद दाने वाली किस्म है वह पूसा 585 तो इन किस्मों का अगर हम प्रयोग करते हैं तो उन्हें काफी अच्छा लाभ मिल सकता है ।
बरबटी की खेती के लिए बुआई का तरीका – barbati ki kheti
अगर आप फलियों की ही बुआई कर रहे हैं तो मेड़ बनाकर बुआई करें । चारे के लिए आप छिड़काव विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं ।
barbati ki kheti me खरपतवार प्रबंधन
खरपतवार का प्रबंधन भी बहुत जरूरी है । खेत में सिंचाई के बाद खरपतवार उगने लगते हैं जिससे barbati ki kheti की बढ़त पर सीधे तौर पर असर पड़ता है । जैसे आप पानी देते हैं या खेत की देखभाल करते हैं तो आप देखते होंगे उसमें फसल के साथ साथ में बहुत सारे ऐसे पौधे होते हैं जिनकी आवश्यकता नहीं है वो उग आते हैं और उन पौधों को निकालना बहुत जरूरी है उनके निकालने से दो फायदा होता एक तो हमारी फसल को पूरे पोषक तत्व मिल जाते हैं और
साथ ही साथ में जो पानी है उसका कभी खपत कम होती है और इसके निकालने का सही तरीका ये है कि बुआई के लगभग 20 से 25 दिन बाद एक बार अच्छी निराई गुड़ाई कर दें । अच्छी निराई गुड़ाई करने के दो लाभ हैं एक तो हमारे खरपतवार नष्ट हो जाएंगे और साथ ही साथ में भूमि में वायु संचार अच्छा हो जाएगा और जितना वायु संचार अच्छा होगा उतना ही हमारी जो जड़ों का विकास ज्यादा होगा । जड़ों में गांठे ज्यादा बनेंगी।
barbati ki kheti में हर दसवें दिन सिंचाई करें

लोबिया यानि बरबटी की खेती में कीट या रोग से बचाव
barbati ki kheti की फसल में रोग और कीट का प्रकोप आम तौर पर तो कम होता है लेकिन बारिश के दिनों में barbati ki kheti में कीट और रोग लगने लगते हैं जिसकी ज्यादा संभावना होती है और ऐसे में यदि फसल में सफेद मक्खी दिखे तो किसान भाई कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर कीटनाशकों का छिड़काव जरूर करें । आपको विषाणु रोग से प्रभावित पौधे दिखाई दें तो फसल से निकाल देने चाहिए और सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए आप समय समय पर मैलाथियान का प्रयोग कर सकते हैं ।
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