Contract Farming के नाम पर हो रही ठगी , कंपनी किसान की जमीन पर खुद ले सकती है लोन
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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों में एक कानून Contract Farming से जुड़ा हुआ है। इसी contract farming का असर आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं। राजस्थान के जैसलमेर जिले में हजारों एकड़ जमीन पर कई कम्पनियों ने contract farming शुरू की है। जिले के किसान थोड़े अनपढ़ और भोले है जो थोड़े से लालच में कंपनियों से एग्रीमेंट कर रहे हैं लेकिन एग्रीमेंट के नियम इतने सख्त हैं कि किसान चाहकर अपनी जमीन वापस नहीं ले सकेंगे।
और बड़ी बात एग्रीमेंट केवल इंग्लिश भाषा में हैै ,जोकि किसानो की समझ से बाहर है। कंपनियों ने अपने दलाल किसानो को बहलाने फुसलाने के लिए रखे हुए है जो गांव दर गांव जाकर लोगो को बहला फुसला रहें हैं। ऐसे में भूमि मालिक खेती में ज्यादा फायदा न देखते हुए जमीनों को लीज पर दे रहे हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के भूमि मालिक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि एग्रीमेंट में क्या क्या शर्तें हैं।
पूरा एग्रीमेंट इंग्लिश में है और यहां के लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है। Contract Farming में कई तरह के clause है जिससे कानूनी कार्रवाई के दौरान कंपनी को ही फायदा होगा। किसान को पूरे तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। जैसलमेर में सोलर एनर्जी के लिए किए जमीन लीज पर ली जा रही है। ये एग्रीमेंट 29 साल और 11 माह के लिए किए जा रहे हैं। पहली और अजीब शर्त ये है कि भूमि मालिक यानी किसान चाहकर भी एग्रीमेंट को रद्द नहीं कर सकता, किसान के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। कंपनी जब चाहे तो तब एग्रीमेंट रद्द कर सकती है। इससे सीधे तौर पर किसान को नुकसान है।

विचित्र नियम – कंपनी आपकी जमीन को आगे थर्ड पार्टी को गिरवी रख सकती है
जो कंपनी आपसे आपकी जमीन ले रही है और वह बैंक लोन लेने के लिए आगे किसी को भी जमीन गिरवी रख सकती है। और ऐसा करने के लिए जरूरी एनओसी देने के लिए किसान बाध्य होंगे। इस नियम के तहत यदि कंपनी किसी किसान की जमीन को गिरवी रखकर लोन लेती है और बाद में लोन ना चुका पाने पर कंपनी का कुछ नहीं जाएगा, जबकि किसान की जमीन बैंक अथवा फाइनेंस कंपनी नीलाम कर सकती है। इस एग्रीमेंट में यह नियम भी है कि किसान एग्रीमेंट होजाने के बाद जमीन पर लोन नहीं ले सकते।
एग्रीमेंट रद्द होने पर भी 6 महीने तक तक जमीन का नहीं कर सकते इस्तेमाल
एग्रीमेंट यदि समय से पहले खत्म होता है तो किसान को 6 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। फिर वो अपनी जमीन का इस्तेमाल कर सकता है।
कानूनी प्रक्रिया है पेचीदा – 90 दिन किराया नहीं मिला तो पहले 120 दिन का नोटिस देना होगा
एग्रीमेंट में एक अजीबोगरीब Clause यह भी है कि यदि कंपनी 90 दिन तक किसान को किराया नहीं देती है तो उसके बाद किसान पहले केवल 120 दिन का नोटिस दे सकता है अगर नोटिस पीरियड के बाद भी पैसा नहीं देता तो फिर कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही अगर फाइनेंस कंपनी में जमीन गिरवी है तो उसे भी नोटिस देना होगा। इसके बाद ही किसान को जमीन वापस मिलेगी। लेकिन यह कार्रवाई को पूरी करने का Procedure 7 महीने का है। इसके अलावा किसान के पास कोई अधिकार नहीं होगा।
जानबूझकर किया जा रहा है एग्रीमेंट में मिस प्रिंट – अगर कोई ध्यान दे तो missprint नहीं तो कंपनी का फायदा
Missprint वाली चाल का एक उदाहरण
एग्रीमेंट की शर्तों में यह जिक्र है कि यदि समझौते के अनुसार बैंक को भुगतान करने में कंपनी फेल हो जाए तो भूमि मालिक को 12 प्रतिशत ब्याज चुकाना पड़ेगा। यह शर्त समझ से परे है कि जब कंपनी कीे ओर से भुगतान देने में देरी होगी तो भूमि मालिक ब्याज क्यों चुकाएगा? जानकारों की मानें तो एग्रीमेंट में इस तरह के मिस प्रिंट जानबूझकर किए जाते हैं।
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